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समाज को निकालना होगा रास्ता हमारे भारत को यह क्या होता जा रहा है? कभी हम अपने आप को सोने की चिडिय़ा कहते थे, आज हर तरफ कंगाली का सा माहौल है। एक समय था जब हमारे यहां अपराध और अपराधी ढूंढे नही मिलते थे लेकिन आज हर तरफ उनकी और उनकी ही भरमार दिखाई पडती है। सनातन काल से हम इस बात पर गर्व महसूस करते थे …